मथुरा! यमुना किनारे बसा यह शहर न सिर्फ़ धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर है; बल्कि एक प्रमुख कृषि केंद्र भी है। यहाँ की मंडी से हज़ारों किसानों की रोज़ी-रोटी से जुड़ी है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या हर किसान को अपनी फसल का सही दाम मिल पाता है? आखिर मथुरा मंडी में मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता क्यों ज़रूरी है और किसान इसे कैसे मजबूत बना सकते हैं। और क्या मथुरा मंडी भाव, या आज का मथुरा मंडी भाव की सही जानकारी किसानों के लिए सबसे बड़ा हथियार है? चलिए जानते हैं!
मथुरा मंडी को जानें
मथुरा मंडी भाव या आज का मथुरा मंडी भाव के बारे में बात करने से पहले चलिए संक्षेप में आपको मथुरा मंडी के बारे में कुछ ख़ास बातें बता देते हैं। मथुरा मंडी उत्तर प्रदेश की सबसे जीवंत कृषि मंडियों में से एक है। यहाँ हर दिन गेहूँ, धान, सरसों, चना, बाजरा, आलू, प्याज और ताज़ा फल-सब्ज़ियों का व्यापार होता है। इस मंडी में सैकड़ों किसान अपनी फसल लेकर पहुँचते हैं। हालाँकि, इस मंडी का असली जादू तब काम करता है, जब किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य मिलता है। और यह तभी संभव है, जब मूल्य निर्धारण की प्रक्रिया खुली और निष्पक्ष हो।
आख़िर क्या होती है पारदर्शिता?
पारदर्शिता का मतलब है कि मंडी में फसल का जो भी भाव तय हो, उसकी जानकारी किसान, व्यापारी और हर खरीदार को हो। मथुरा मंडी में फसल के मूल्य को कई फैक्टर्स प्रभावित करते हैं-
मांग और आपूर्ति : अगर किसी फसल की मांग ज़्यादा है और आपूर्ति कम, तो उसका मूल्य बढ़ जाता है। जैसे, सर्दियों में हरी सब्ज़ियों की मांग बढ़ने से उनके दाम चढ़ जाते हैं।
मौसम का प्रभाव : बारिश, सूखा या ओलावृष्टि फसलों को प्रभावित करता है, जिससे उत्पादन और मूल्य दोनों पर असर पड़ता है।
फसल की क्वालिटी : प्रीमियम क्वालिटी की फसल; जैसे- मथुरा का शरबती गेहूँ, हमेशा बेहतर दाम पाता है।
बाज़ार का रुझान : स्थानीय और राष्ट्रीय बाज़ारों की स्थिति, जैसे निर्यात नीतियाँ या मंडी की माँग, भी मूल्य तय करती है।
पारदर्शिता की कमी होने पर क्या होगा?
मथुरा मंडी जैसे बाज़ारों में पारदर्शिता की कमी कई बार किसानों के लिए मुसीबत बन जाती है। ऐसी में कुछ इस तरह की स्थिति बनती है-
बिचौलियों का जाल: बिचौलिये अक्सर किसानों से कम दाम पर फसल खरीदकर उसे ऊँचे दाम पर बेचते हैं। बाज़ार का सही मूल्य पता न होने पर किसान बिचौलियों के चक्कर में फँस जाते हैं।
जानकारी का अभाव: व्यापारियों को मंडी की ताज़ा जानकारी होती है, लेकिन कई किसानों को यह नहीं पता कि उनकी फसल की असली कीमत क्या है। जिसके कारण उन्हें कम कीमत पर अपनी फसल बेचना पड़ता है।
किसानों में विश्वास की कमी : जब मूल्य निर्धारण की प्रक्रिया अस्पष्ट होती है, तो किसानों का मंडी सिस्टम पर से भरोसा उठने लगता है। वे सोचने लगते हैं कि मंडी उनके लिए नहीं, बल्कि व्यापारियों और बिचौलियों के लिए बनी है। ऐसी स्थिति में किसान या तो मंडी में फसल बेचने से हिचकने लगते हैं या फिर मजबूरी में कम दाम पर बेच देते हैं।
मथुरा मंडी में पारदर्शिता बढ़ाने के तरीके
डिजिटल जागरूकता: किसान को अपनी फसल बेचने से पहले eNam पर आज का मथुरा मंडी भाव देखना चाहिए। सरकार या मंडी समिति द्वारा किसानों को डिजिटल टूल्स और बाज़ार के रुझानों की जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए। हालाँकि, डिजिटल टूल्स को इस्तेमाल करना इतना मुश्किल भी नहीं है। सटीक और विश्वसनीय मथुरा मंडी भाव जानने के लिए किसान शुरू ऐप की मदद ले सकते हैं। शुरू ऐप से मथुरा मंडी भाव चेक करना बहुत ही आसान है। आप शुरू ऐप को Google Play Store या Apple Store से फ़्री में डाउनलोड कर सकते हैं। डाउनलोड करने के बाद मंडी सेक्शन में जाएँ, और मथुरा मंडी को चुनें। इसके बाद आप फसलों के ताज़ा भाव देख सकते हैं। इसके अलावा, आप शुरू ऐप की ऑफिशियल वेबसाइट (shuru.co.in) पर भी मंडी भाव चेक कर सकते हैं।
मंडी समितियों की ज़िम्मेदारी: मंडी समितियों को मूल्य निर्धारण की प्रक्रिया को और खुला और जवाबदेह बनाना चाहिए। मंडी में दैनिक मूल्यों को रेडियो, एसएमएस और स्थानीय भाषा में बोर्ड पर प्रदर्शित करना चाहिए।
सरकारी सहयोग: सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और अन्य नीतियों के ज़रिए किसानों को सही दाम दिलाने में मदद कर सकती है।
खेती आसान नहीं है। बारिश, मजदूरी, बीज, खाद, मेहनत - सब कुछ किसान खुद झेलता है। ऐसे में अगर मंडी में मेहनत की सही कीमत न मिले, तो सबसे बड़ा नुकसान किसान का ही होता है। इसलिए अगली बार जब भी फसल बेचने जाएं- पहले आज का मथुरा मंडी भाव देख लें। और सही जानकारी के साथ सौदा करें। जब किसान जागरूक होगा, तभी फसल की सही क़ीमत पाना आसान होगा!
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